लोहड़ी पर्व में अग्नि का महत्व
लोहड़ी का पर्व सूर्यदेव और अग्नि को समर्पित है। इस पर्व में लोग नई फसलों को लोग अग्निदेव को समर्पित करते हैं। शास्त्रों के अनुसार अग्नि के जरिए ही सभी देवी देवता भोग ग्रहण करते हैं। मान्यता है कि लोहड़ी के पर्व के माध्यम से नई फसल का भोग सभी देवताओं तक पहुंच जाता है। कहते हैं कि अग्निदेव और सूर्य को फसल समर्पित करके उनके प्रति आभार व्यक्त किया जाता है और उनसे आने वाले समय में भी अच्छी फसल, सुख समृद्धि की कामना की जाती है।
लोहड़ी का धार्मिक महत्व
लोहड़ी का पर्व वैसे तो प्रकृति पूजा के लिए समर्पित है। पंजाब में इस पर्व का धार्मिक महत्व है। लोहड़ी की शाम लोहड़ी जलाकर अग्नि की सात बार परिक्रमा करते हुए तिल, गुड़, चावल और भुने हुए मक्के की आहुति दी जाती है। इस सामग्री को तिलचौली कहते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दौरान जिसके भी घर पर खुशियों का मौका आया, चाहे विवाह हो या संतान के जन्म के रूप में, लोहड़ी उसके घर जलाई जाएगी और लोग वहीं एकत्र होंगे। इस अवसर पर लोग मूंगफली, तिल की गजक और रेवड़ियां आपस में बांटकर खुशियां मनाते है।
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