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IIT baba Abhay Singh इंस्टा पर छह हजार से चार लाख हुए फाॅलोअर… अब इस बात का हो रहा मलाल

IIT baba Abhay Singh इंस्टा पर छह हजार से चार लाख हुए फाॅलोअर… अब इस बात का हो रहा मलाल

“प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में पहुंचे अभय सिंह ग्रेवाल आईआईटी से पढ़े हैं। हालांकि वे परिवार और कैरियर को छोड़कर अध्यात्म की दुनिया में चले गए हैं। “

Abhay was born on March 3, 1990, in Sasrauli village of Jhajjar district. At the time of Abhay’s birth, he had a two-year-old elder sister with whom he shared a strong bond.

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में आईआईटीएन बाबा के रूप में चर्चित हुए अभय सिंह अब अपने फेम से खुद परेशान हो गए हैं। उनका कहना है कि यह फेम उनके लिए परेशानी बन गया है। वह पहले आसानी से बाहर घूम लेते थे। चाय पी लेते थे, लेकिन अब बाहर नहीं जा पा रहे हैं। पहले किसी भी टेंट में जाकर सो जाते थे, लेकिन अब बाहर जाने से पहले सोचना पड़ रहा है।”माता सीता थीं मर्यादा पुरुषोत्तम

आईआईटीएन बाबा ने इंस्टाग्राम पर अपने फाॅलोअर से चैट की। इंस्टाग्राम पर आईआईटीएन बाबा के चार दिन पहले मात्र 6 हजार फाॅलोअर थे, जो अब बढ़कर चार लाख से ज्यादा हो चुके हैं। फाॅलोअर से बातचीत में अभय सिंह ने कहा कि सतयुग में माता सीता मर्यादा पुरुषोत्तम थीं। जिस धनुष को श्रीराम ने तोड़ा, उस धनुष को माता सीता बचपन में ही उठा लेती थीं। जब रावण माता सीता का हरण करके ले गया, तब भी सीता माता मर्यादा में रहीं।”

अभय सिंह ने कहा कि वह बचपन से ही भागना चाहते थे। इसी वजह से आईआईटी बॉम्बे में दाखिला लिया। वहीं, अभय का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें वह कह रहे हैं कि मां–बाप भगवान नहीं हैं, उन्हें भी भगवान ने ही बनाया है। यह सतयुग का कॉन्सेप्ट है, जिसे कलयुग में प्रयोग किया जा रहा है।

“अभय सिंह के परिवार को अब भी घर आने की उम्मीद

पिता एडवोकेट करण सिंह ग्रेवाल ने कहा कि उनका बेटा सीधा और सच्चा था और घरेलू जीवन छोड़ने का उसने जो कारण बताया, वह वास्तविक था। ग्रेवाल ने अपने बेटे अभय को एक बेहद संवेदनशील व्यक्ति बताया। उन्होंने कहा कि पति-पत्नी के बीच मतभेद हर घर में आम बात है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अभय ने इन विवादों को कितनी गहराई से आत्मसात कर लिया है। माता-पिता को इससे सबक लेना चाहिए और अपने बच्चों की भलाई के लिए अपने विवादों को कम से कम करने का प्रयास करना चाहिए। अभय मेरा इकलौता बेटा है और कोई भी माता-पिता ऐसे निर्णय से खुश नहीं होंगे, लेकिन अब मैं केवल यही प्रार्थना कर सकता हूं कि वह जहां भी रहे, खुश और स्वस्थ रहे। उनकी उम्मीद इस बात पर टिकी है कि अभय ने खुद एक साक्षात्कार में कहा है कि अगर उन्हें यह रास्ता संतोषजनक नहीं लगता है तो वे इसे छोड़ देंगे और घर लौट आएंगे। परिवार को अभय की घर वापसी (सांसारिक जीवन में लौटने) की उम्मीद जगी है।”

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Dimple Goyal Editor
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