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Kumbh Mela kyon manaya jata hai janiye

Kumbh Mela kyon manaya jata hai janiye
जब 11 पूर्ण कुंभ हो जाते हैं तब 12वें पूर्ण कुंभ को महाकुंभ कहा जाता है, जो 144 साल में एक बार लगता है। इसके चलते इसे ‘भव्य कुंभ’ भी कहा जाता है। यानी साल 2025 में लगने वाला महाकुंभ 144 सालों बाद आया है, यही वजह है कि इसे बेहद खास माना जा रहा है।
असुरों से अमृत को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने वह पात्र अपने वाहन गरुड़ को दे दिया. असुरों ने जब गरुड़ से वह पात्र छीनने का प्रयास किया तो उस पात्र में से अमृत की कुछ बूंदें छलक कर इलाहाबाद, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में गिरीं. तभी से प्रत्येक 12 वर्षों के अंतराल पर इन स्थानों पर कुंभ मेला आयोजित किया जाता है.
हर बारहवें वर्ष भारत में पौष पूर्णिमा से प्रारम्भ होकर महाशिवरात्रि तक लगभग पैंतालीस दिन तक चलने वाले विश्व के सबसे बड़े समागम

‘महाकुम्भ मेला’ में विश्व के कोने-कोने से आए हुए श्रद्धालु पुराणों में व्यक्त की गई पवित्र नदियों शिप्रा (उज्जैन), गंगा (हरिद्वार), गोदावरी (नासिक) और प्रयागराज स्थित संगम में स्नान करके मोक्ष प्राप्ति की कामना करते है। ‘विघ्नहर्ता गणेश‘ धारावाहिक के कुछ अंशों के माध्यम से आपके समक्ष प्रस्तुत कर रही हूं आदिकाल में भगवान शिव जी के सुझाव का पालन करते हुए अमृत और दिव्य रत्नों की प्राप्ति के लिए आपसी वैर मिटाए देवता और असुर मंदरांचल पर्वत को मथनी और नागराज वासुकी को रस्सी बना कर समुद्र मंथन करना प्रारम्भ कर देते है। लेकिन समुद्र मंथन के समय भार अधिक होने के कारण मंदरांचल पर्वत समुद्र में डूबने लगता है। जिसे देख देवता और असुर दोनों भयभीत हो जाते है, तब गुरु बृहस्पति और शुक्राचार्य दोनों देवी महालक्ष्मी से प्रार्थना करते है। उनकी प्रार्थना सुन कर देवी महालक्ष्मी भगवान विष्णु से समुद्र मंथन पर आए संकट को बचाने के लिए कश्यप अवतार लेने की विनती करती है और उनकी विनती पर भगवान विष्णु कश्यप अवतार लेकर मंदरांचल पर्वत को अपनी पीठ धारण कर लेते है और उसे डूबने से बचा लेते है। समुद्र मंथन पुनः प्रारम्भ हो जाता है और उससे सबसे पहले तीव्र हलाहल (कालकूट विष) निकलता है तथा उस विष के कारण सारी सृष्टि आग से जलने लगती है। इस संकट से बचने के लिए देवता और असुर एक बार पुनः देवी महालक्ष्मी से प्रार्थना करते है। देवी महालक्ष्मी उनसे कहती है कि इस संकट से बचने के लिए वे केवल भोलेनाथ शिव शंकर की शरण में जाए।

बाकी जानकारी युटुब vighnharta Shri Ganesh 478 episode देख सकते हैं। हो सके तो 1 एपिसोड से और तक देखिए।

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Dimple Goyal Editor
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