Janiye
दीवान टोडर मल इस क्षेत्र के एक धनी व्यक्ति थे और गुरु गोविंद सिंह जी एवं उनके परिवार के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने को तैयार थे। उन्होंने वज़ीर खान से साहिबज़ादों के पार्थिव शरीर की माँग की और वह भूमि जहाँ वह शहीद हुए थे, वहीं पर उनकी अंत्येष्टि करने की इच्छा प्रकट की।
अकबर ने इन्हें वजीर पद दिया और वित्त यानी धन से जुड़े वितरण की जिम्मेदारी राजा टोडरमल ने संभाली. टोडरमल के काम करने के अंदाज से राजकोष को इतना फायदा हुआ कि मुगल बादशाह अकबर ने खुश होकर इन्हें दीवान-ए-अशरफ की पदवी से नवाजा. इसका अर्थ है जमीन से जुड़े विभाग का प्रमुख.
राजा टोडर मल हमारे पूर्वज थे । पहले वे शेरशाह के वजीरे खजाना( वित्त मंत्री ) और वजीरे पैमाईश ( राजस्व मंत्री) रहे । जब कालिंजर के क़िले में तोपखाना का निरीक्षण करते हुए शेरशाह की एक दुर्घाटना में मौत हो गई तब राजा टोडरमल ने काशी वास शुरू कर दिया । वे शुद्ध सनातनी कायस्थ थे, पर सभी धर्मों का सम्मान करते थे
टोडरमल की मृत्यु 8 नवंबर, 1589 को लाहौर में हुई थी. उनके शरीर का अंतिम संस्कार हिंदू परंपराओं के मुताबिक किया गया था. इस समारोह में लाहौर के प्रभारी उनके सहयोगी राजा भगवान दास मौजूद थे.
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